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कुल्लू दशहरा मेला: देवता भृगु ऋषि के भक्तों ने तहसीलदार पर किया हमला

 कुल्लू दशहरा मेला: तहसीलदार हरी सिंह पर भक्तों का जानलेवा हमला, प्रशासन जांच में जुटा

कुल्लू (हिमाचल प्रदेश):

विश्व प्रसिद्ध कुल्लू दशहरा महोत्सव, जो हिमाचल प्रदेश की शान और आस्था का प्रतीक माना जाता है, इस बार एक गंभीर विवाद की वजह से सुर्खियों में आ गया। इस मेले के दौरान तहसीलदार हरी सिंह पर देवता भृगु ऋषि के भक्तों ने हमला कर दिया। अधिकारियों के अनुसार, उन्हें घसीटा गया, मारपीट की गई और जान से मारने की धमकी दी गई। घटना के तुरंत बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।



घटना की पृष्ठभूमि


तहसीलदार हरी सिंह अपने कर्मचारियों के साथ मेले के ग्राउंड में सरकारी कार्य के लिए मौजूद थे। बताया गया है कि इसी दौरान देवता श्री भृगु ऋषि के कुछ भक्तों ने आरोप लगाया कि हरी सिंह जूते पहनकर उनके शिविर में प्रवेश कर गए थे। इस बात से नाराज भक्तों ने तहसीलदार को घेर लिया।


हरी सिंह ने घटना के संबंध में बताया कि उन्होंने भक्तों को समझाने की कोशिश की कि यह गलती से हुआ और उन्होंने देवता से माफी भी मांगी। लेकिन भीड़ शांत नहीं हुई। एक व्यक्ति राहुल ने उनके कालर को पकड़कर धक्के दिए और उन्हें शिविर की तरफ घसीटते हुए ले गया। इस दौरान उनके साथ मौजूद छह सरकारी कर्मचारियों ने उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन उनके ऊपर भी हमला किया गया।


हिंसक घटना का विस्तार


घटना तब और भयंकर रूप ले गई जब भीड़ ने तहसीलदार को जबरदस्ती अपने शिविर में ले जाकर प्रताड़ित किया। हरी सिंह ने बताया कि गुर नामक व्यक्ति ने लोहे की पैना निकालकर अपने गाल में चुभोया और फिर उन्हें अपने कदमों में झुककर माफी मांगने के लिए मजबूर किया। इस दौरान गुर के मुंह से खून निकला और तहसीलदार के कपड़ों पर गिरा।


इसके बाद भी हरी सिंह को सड़क पर नाक रगड़ने के लिए मजबूर किया गया। इस पूरी घटना का वीडियो भी बनाया गया, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। तहसीलदार ने कहा कि उन्हें फोन करने और अधिकारियों से संपर्क करने से भी रोका गया।


प्रशासन की प्रतिक्रिया


हरी सिंह किसी तरह एडीएम और उपायुक्त से संपर्क करने में सफल हुए। इसके बाद पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। एएसपी, डीआरडीए अधिकारी और क्यूआरटी की टीम मौके पर मौजूद रहे। बावजूद इसके, भीड़ ने तहसीलदार पर हमले का सिलसिला जारी रखा।


तहसीलदार हरी सिंह ने बताया कि यह विवाद देवता के लिए आवंटित जगह को लेकर था। प्रशासन ने सभी देवताओं को समान रूप से 16-16 फीट का स्थान दिया था। लेकिन भृगु ऋषि के भक्तों ने दो टेंट लगाकर अधिक जगह घेर रखी थी, जिससे पड़ोसी देवताओं के शिविरों में समस्या उत्पन्न हो रही थी।

हरी सिंह ने यह भी बताया कि कुछ दिन पहले उपायुक्त के निर्देश पर उन्होंने इस टेंट को हटवाने का प्रयास किया था। भक्तों ने अपने कारदार को प्रशासन के सामने पेश नहीं किया, जिससे कोई समझौता या बातचीत संभव नहीं हो पाई। यही कारण है कि विवाद ने हिंसक रूप ले लिया।


पुलिस कार्रवाई


पुलिस ने तुरंत तहसीलदार का बयान दर्ज किया और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। इनमें धारा 126, 132, 121, 351 और 356 शामिल हैं। ये धाराएं हमला, गंभीर चोट, सरकारी कार्य में बाधा और आपराधिक धमकी से संबंधित हैं।


पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे उप पुलिस अधीक्षक स्तर तक भेजा है। अब उच्च स्तर पर जांच की जाएगी और आरोपियों की गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाएगी।


तहसीलदार की सुरक्षा और प्रशासनिक कदम


हरी सिंह ने घटना के बाद सुरक्षा की मांग की है। प्रशासन ने कहा है कि मामले की जांच के दौरान उनके सुरक्षा इंतजाम सुनिश्चित किए जाएंगे। साथ ही, कुल्लू दशहरा मेला के अन्य आयोजनों के दौरान सुरक्षा बढ़ा दी गई है ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना दोबारा न घटे।


विशेषज्ञों की राय


विशेषज्ञ मानते हैं कि धार्मिक आयोजनों में ऐसी घटनाएं अक्सर स्थान विवाद और अनुशासनहीनता के कारण होती हैं। उनका कहना है कि प्रशासन को आस्था और कानून के बीच संतुलन बनाए रखना होगा। धर्म और परंपरा का सम्मान करते हुए भी नियमों का पालन आवश्यक है।


कुल्लू दशहरा मेला हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। ऐसे में किसी भी प्रकार की हिंसा न केवल प्रशासनिक समस्या बनती है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी चिंता का विषय बन जाती है।


सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया


स्थानीय नेताओं और समाजसेवी संस्थाओं ने घटना की निंदा की है। उनका कहना है कि किसी भी सरकारी अधिकारी पर हमला पूरी तरह अनुचित और अस्वीकार्य है। साथ ही उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया है कि जल्द से जल्द आरोपियों की पहचान कर उचित कार्रवाई की जाए।


स्थानीय लोगों का कहना है कि दशहरा मेला क्षेत्र की आस्था और परंपरा का प्रतीक है। ऐसे आयोजनों में किसी भी विवाद को हिंसक रूप न लेने देना आवश्यक है।


निष्कर्ष


कुल्लू दशहरा महोत्सव, जो वर्षों से आस्था, संस्कृति और पर्यटन का प्रतीक रहा है, इस बार प्रशासनिक विवाद और हिंसा के कारण सुर्खियों में है। तहसीलदार हरी सिंह पर हमला न केवल कानून के उल्लंघन का मामला है, बल्कि यह दर्शाता है कि धार्मिक आयोजनों में स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा प्रबंधन की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है।


पुलिस और प्रशासन ने मामले की गंभीरता को समझते हुए उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही आरोपियों की पहचान कर उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।


आस्था और संस्कृति की रक्षा के साथ-साथ कानून और व्यवस्था को बनाए रखना हर प्रशासनिक अधिकारी और समाज की जिम्मेदारी है। कुल्लू दशहरा मेला इस बार इन चुनौतियों के बीच भी

 अपनी परंपरा और भव्यता को कायम रखने की कोशिश कर रहा है।

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