तीर्थन घाटी, गुशेनी (डी०पी० रावत):
जिला कुल्लू के शिक्षा खंड बंजार के तहत आने वाले राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गुशैणी पर इस बार प्राकृतिक आपदा ने गहरा असर डाला है। स्कूल का एक भवन पूरी तरह से जमींदोज हो गया है, जबकि दूसरा भवन भी खतरे की जद में है। अब यह पूरा परिसर बच्चों और शिक्षकों के लिए असुरक्षित घोषित किया गया है। परिणामस्वरूप लगभग 550 से अधिक छात्रों की पढ़ाई और भविष्य अधर में लटक गया है।
तीर्थन घाटी के गुशैणी क्षेत्र में बीते माह हुई भारी बारिश के चलते कोशुनाली बंदल गांव की पहाड़ी से भूस्खलन हुआ था। इस दौरान पहाड़ से गिरे विशाल पत्थरों, पेड़ों और मलबे ने स्कूल परिसर को पूरी तरह तबाह कर दिया। मलबे का दबाव इतना अधिक था कि एक पूरा भवन धराशायी हो गया और दूसरा कभी भी गिर सकता है।
अब इस जगह स्कूल संचालित करना पूरी तरह असुरक्षित हो गया है। स्थानीय लोग और अभिभावक बच्चों की सुरक्षा और पढ़ाई को लेकर गंभीर चिंता में हैं।
एसडीएम बंजार पहुंचे मौके पर, बच्चों की पढ़ाई पर लिया जायजा
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम बंजार पंकज शर्मा सोमवार को खुद गुशेनी स्कूल पहुंचे। उनके साथ पंचायत जनप्रतिनिधि, स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) के पदाधिकारी, शिक्षकों और स्थानीय लोग मौजूद रहे।
लोगों ने बच्चों की सुरक्षा और पढ़ाई को लेकर अपनी चिंताएं एसडीएम के समक्ष रखीं और स्थायी समाधान की मांग की।
एसडीएम पंकज शर्मा ने भरोसा दिलाया कि बच्चों की शिक्षा किसी भी स्थिति में बाधित नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने स्कूल प्रशासन को वैकल्पिक स्थानों की व्यवस्था करने के निर्देश दिए।
बाड़ीरोपा में बनेगी वैकल्पिक कक्षाएं, आज से होगी शुरुआत
प्रशासन ने अस्थाई तौर पर बाड़ीरोपा गांव के एक निजी भवन में 9वीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की पढ़ाई शुरू करने का निर्णय लिया है।
एसडीएम शर्मा ने बताया कि भवन की अनुमति सरकार से मिलते ही इसमें 6वीं से 12वीं तक की सभी कक्षाएं लगाई जाएंगी। अभी के लिए भवन की निचली मंजिल में सीनियर क्लासेज़ चलेंगी।
उन्होंने शिक्षकों को निर्देश दिया कि कक्षाएं पूरी तरह ऑफलाइन हों और विज्ञान संकाय के विद्यार्थियों के लिए छुट्टियों में अतिरिक्त क्लासेज़ लगाई जाएं ताकि किसी छात्र का पाठ्यक्रम पीछे न रहे।
एसडीएम ने दिए सख्त दिशा-निर्देश
बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
कक्षाओं के संचालन में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।
स्थानीय पंचायत से समन्वय बनाकर स्थायी भवन निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाए।
शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं पर निर्भर न रखा जाए, बल्कि स्कूल जैसा माहौल वैकल्पिक भवनों में तैयार किया जाए।
स्कूल प्रबंधन समिति ने रखी मांगें
स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) की अध्यक्ष शिवा गौतम ने बताया कि बीते माह हुई बैठक में बच्चों की सुरक्षा और पढ़ाई जारी रखने को लेकर कई निर्णय लिए गए थे।
उन्होंने कहा कि जब तक नया भवन नहीं बन जाता, तब तक अस्थाई भवनों में शिक्षा जारी रहेगी। साथ ही नया स्कूल भवन निर्माण के लिए उपयुक्त स्थान भी चिन्हित कर लिया गया है।
प्रबंधन समिति ने बताया कि स्कूल को हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजी गई है और नया भवन स्वीकृत करवाने के लिए पत्राचार जारी है।
क्रयाश चेरिटेबल ट्रस्ट आया आगे, बच्चों के लिए सहयोग सामग्री दी
इस आपदा के बीच समाजसेवी संस्था क्रयाश चेरिटेबल ट्रस्ट सुंदरनगर ने स्कूल के बच्चों के लिए मदद का हाथ बढ़ाया। संस्था ने गुशेनी स्कूल में एक जागरूकता शिविर का आयोजन किया।
संस्था के संस्थापक धर्मेश शर्मा ने बताया कि इस शिविर में विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, स्वच्छता, नशामुक्ति और किताब पढ़ने की आदत के प्रति जागरूक किया गया।
संस्था की ओर से स्कूल को 200 मेट्रेस, 1 प्रिंटर, 38 किताबें, 2 वाटर फिल्टर, 6 ब्लैकबोर्ड, 5 चौक बॉक्स, 6 डस्टर और 20 रैनकोट भेंट किए गए।
उन्होंने कहा कि संस्थान का उद्देश्य केवल सामग्री देना नहीं बल्कि बच्चों को पढ़ाई के प्रति प्रेरित करना है ताकि कठिन हालात में भी वे शिक्षा से जुड़े रहें।
अभिभावकों में चिंता, बच्चों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह
स्कूल भवन ढहने के बाद अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हैं। उनका कहना है कि पिछले कई वर्षों से भवन की हालत जर्जर थी, लेकिन समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
अब जब पूरा भवन जमींदोज हो गया है, तो प्रशासन को जल्द से जल्द नए भवन का निर्माण शुरू करना चाहिए ताकि बच्चों को स्थाई समाधान मिल सके।
स्थायी समाधान की ओर बढ़े कदम
एसडीएम बंजार पंकज शर्मा ने कहा कि प्रशासन स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग और लोक निर्माण विभाग से रिपोर्ट ली गई है। जैसे ही तकनीकी स्वीकृति मिलती है, नया भवन निर्माण प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
उन्होंने आश्वासन दिया कि बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा दोनों ही सर्वोच्च प्राथमिकता पर हैं।
स्थानीयों की उम्मीदें
तीर्थन घाटी के लोग उम्मीद जता रहे हैं कि प्रशासन जल्द ही स्थायी भवन निर्माण का रास्ता साफ करेगा।
लोगों का कहना है कि यह स्कूल न केवल गुशेनी बल्कि आस-पास के कई गांवों के लिए शिक्षा का प्रमुख केंद्र है, इसलिए इसका जल्द पुनर्निर्माण क्षेत्र के विकास से जुड़ा हुआ कदम होगा।
निष्कर्ष:
गुशेनी का स्कूल भवन ढहने से जहां एक ओर सैकड़ों बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है, वहीं प्रशासन और स्थानीय समाज ने मिलकर शिक्षा को बचाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
भले ही आपदा ने एक भवन गिरा दिया हो, लेकिन तीर्थन घाटी के लोगों की उम्मीदें और बच्चों का जज्बा अब भी मजबूत है — और यही इस कहानी की असली ताकत है।
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