भूषण गुरुंग
29अक्टूबर 2025
जिला ब्यूरो चंबा
चंबा मेडिकल कॉलेज में पर्ची शुल्क ₹10 तय किए जाने के बाद स्थानीय लोगों में भारी नाराज़गी देखने को मिली। अस्पताल प्रशासन के इस निर्णय का लोगों ने विरोध करते हुए कहा कि पहले से ही स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहे मरीजों पर अब अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालना अनुचित है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन जैसी जांचों के लिए तीन-तीन महीने बाद की तारीख दी जाती है, जिसके चलते मजबूर होकर मरीजों को निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों का रुख करना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि अस्पताल में दवाइयों की भारी कमी है, और अब ₹10 का पर्ची शुल्क उन पर और बोझ डाल रहा है।
लोगों ने सरकार से मांग की कि सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं और मुफ्त दवाएं उपलब्ध करवाई जाएं। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि अगर अभी पर्ची शुल्क बढ़ाया गया है तो आने वाले समय में अन्य सेवाओं के दाम भी बढ़ सकते हैं।
एक मरीज ने कहा — “हम गरीब लोग हैं, पहले ही बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ती हैं, अब यह ₹10 पर्ची शुल्क हमारी मुश्किलें और बढ़ा देगा।”
वहीं, मेडिकल कॉलेज के सुपरिंटेंडेंट डॉ. जालम सिंह ने बताया कि यह निर्णय रोगी कल्याण समिति की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया है। उनके अनुसार ₹10 का यह शुल्क अस्पताल के विकास और मरीजों की सुविधा के लिए लिया जा रहा है। यह राशि अस्पताल वेलफेयर फंड में जाएगी, जिससे स्ट्रेचर, व्हीलचेयर और अन्य उपकरणों की मरम्मत व रखरखाव किया जाएगा।
अब लोगों की नाराजगी और प्रशासन की दलीलों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है — क्या ₹10 पर्ची शुल्क वापस लिया जाएगा या इसे अस्पताल सुधार की दिशा में एक आवश्यक कदम माना जाएगा।

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