डी. पी. रावत और जितेन्द्र कुमार | ABD NEWS | आनी (कुल्लू)।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सोमवार को आनी में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्थानीय स्तर पर आयोजित इस समारोह में सैकड़ों स्वयंसेवक, कार्यकर्ता, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आनी के विधायक लोकेन्द्र कुमार ने शिरकत की और कहा कि “आरएसएस ने राष्ट्र निर्माण में अमिट योगदान दिया है, जिसने भारत की संस्कृति, समाज और आत्मबल को एक सूत्र में पिरोया है।”
संघ के शताब्दी वर्ष में नई ऊर्जा का संचार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जिसकी स्थापना वर्ष 1925 में डॉ. हेडगेवार ने की थी, आज अपनी सौवीं वर्षगांठ मना रहा है। इस अवसर पर पूरे देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिनका उद्देश्य संघ के मूल विचार — राष्ट्र प्रथम, समाज सर्वोपरि — को जन-जन तक पहुँचाना है।
आनी में आयोजित कार्यक्रम इसी श्रृंखला का हिस्सा था, जिसमें स्थानीय शाखाओं के स्वयंसेवकों ने “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम” के नारों से पूरा वातावरण राष्ट्रभक्ति के रंग में रंग दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत — परंपरा और संस्कारों के संग
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और संघ गीत से किया गया। मंच संचालन का दायित्व आनी शाखा के संयोजक ने निभाया।
शाखा के स्वयंसेवकों ने शाखा ड्रिल,गान, और योग प्रदर्शन प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इसके पश्चात् आनी खण्ड प्रचारक ने संघ के इतिहास और उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा —
“संघ ने हमेशा समाज में एकता, अनुशासन और सेवा की भावना को जीवित रखा है। आज जब हम 100 वर्ष पूरे कर रहे हैं, तब यह हमारे लिए आत्ममंथन और नए संकल्प लेने का अवसर है।”
उन्होंने स्वयंसेवकों को बधाई देते हुए यह भी कहा कि “100 वर्षों का यह सफर आत्मबल, समर्पण और संगठन की शक्ति का प्रतीक है।”
सेवा और संस्कार का संगम
कार्यक्रम में कई स्थानीय स्वयंसेवकों ने संघ के कार्यों पर अपने अनुभव साझा किए।
आनी विकास खण्ड की विभिन्न पंचायतों से आए प्रतिनिधियों ने बताया कि कैसे संघ ने शिक्षा, पर्यावरण, आपदा राहत, और सामाजिक समरसता के क्षेत्र में अनेक सेवाकार्य किए हैं।
एक युवा स्वयंसेवक ने कहा —
“संघ ने हमें सिखाया कि राष्ट्र सेवा केवल भाषणों से नहीं, कर्म से होती है। हर दिन शाखा में अनुशासन और सेवा की भावना से जीवन जीना सीखने को मिलता है।”
“एकात्म मानव दर्शन” पर व्याख्यान
कार्यक्रम में संघ के वरिष्ठ विचारक ने “एकात्म मानव दर्शन” विषय पर प्रेरक व्याख्यान दिया।
उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को उद्धृत करते हुए कहा कि भारत की आत्मा उसके गाँवों, संस्कृति और परिवार व्यवस्था में बसती है।
“जब तक हम अपने मूल्यों को नहीं पहचानेंगे, तब तक विकास अधूरा रहेगा। आरएसएस ने हमें अपनी पहचान और संस्कृति से जोड़े रखा है।”
आनी से देशभर को संदेश — “सेवा ही संस्कार”
संघ के स्थानीय पद अधिकारी ने कहा कि शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आनी शाखा आने वाले महीनों में कई सेवा अभियान चलाएगी —
जैसे कि गृह सम्पर्क अभियान,वृक्षारोपण और विद्यालयों में संस्कार शिक्षा कार्यक्रम।
उन्होंने कहा —
“100 वर्ष पूरे होना केवल उत्सव नहीं, बल्कि आने वाले 100 वर्षों की तैयारी का संकल्प है।”
संघ के शताब्दी वर्ष का आह्वान
कार्यक्रम के अंत में आनी शाखा के प्रमुख ने कहा कि
“आज जब संघ अपने 100 वर्ष पूरे कर रहा है, तब यह केवल संगठन का नहीं, बल्कि हर राष्ट्रप्रेमी का उत्सव है। आने वाले वर्षों में हम नई पीढ़ी को ‘चरित्र, संस्कार और सेवा’ की भावना से जोड़ने का प्रयास जारी रखेंगे।”
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