डी पी रावत
अखण्ड भारत दर्पण न्यूज
कर्नाटक के हंगल स्थित सीजे बेल्लड़ सरकार फर्स्ट ग्रेड कॉलेज में ड्रेस कोड को लेकर पिछले एक महीने से चल रहा विवाद गुरुवार को तब उभरकर सामने आया, जब कुछ छात्राओं के बुर्का पहनकर कक्षाओं में आने के विरोध में अन्य छात्र भगवा गमछा लेकर कैंपस पहुंच गए। घटना के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया, जिसे देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने त्वरित हस्तक्षेप किया और सभी छात्रों के लिए कॉलेज यूनिफॉर्म अनिवार्य कर दी।
कॉलेज प्रशासन के अनुसार छात्राओं को पहले भी यूनिफॉर्म का पालन करने की चेतावनी दी गई थी, लेकिन बीए और बीकॉम की कुछ छात्राएं हाल में फिर से बुर्का पहनकर कॉलेज पहुंचीं। इसके जवाब में कुछ छात्रों ने भगवा गमछा धारण कर प्रदर्शन किया, जिससे कैंपस का वातावरण और गरम हो गया।
प्रबंधन की बैठक में यूनिफॉर्म अनिवार्य करने का फैसला
तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए कॉलेज प्रबंधन ने तत्काल बैठक बुलाई और सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि अब कैंपस में केवल आधिकारिक यूनिफॉर्म ही मान्य होगी। किसी भी छात्र को धार्मिक परिधान या अन्य प्रतीक पहनने की अनुमति नहीं होगी। प्रशासन का कहना है कि एकरूपता और अनुशासन बनाए रखने के लिए यह कदम आवश्यक है।
ड्रेस कोड विवाद कोई नया मुद्दा नहीं
देश के कई शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक या सांस्कृतिक परिधानों को लेकर पहले भी विवाद खड़े हो चुके हैं। कई बार छात्रों और अभिभावकों ने यूनिफॉर्म नियमों को कठोरता से लागू करने की मांग की है। विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षा संस्थानों में एक समान नियम लागू करना शैक्षणिक माहौल को सुरक्षित और निष्पक्ष रखने के लिए जरूरी है।
भविष्य की चुनौतियाँ और छात्र प्रतिक्रिया
कॉलेज प्रशासन को अब छात्रों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया का इंतजार है। ऐसे निर्णय अक्सर सामाजिक और सांस्कृतिक चर्चाओं को जन्म देते हैं, जिससे संस्थानों के लिए संतुलन बनाए रखना चुनौती बन जाता है। प्रबंधन का स्पष्ट कहना है कि नियम सभी के लिए समान रहेंगे और पढ़ाई का माहौल किसी भी कीमत पर प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।
इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा किया है कि क्या शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक परिधान की अनुमति होनी चाहिए या नहीं। फिलहाल कॉलेज प्रबंधन को उम्मीद है कि नया आदेश कैंपस में शांति और एकता स्थापित करने में मदद करेगा।

0 Comments