डी.पी. रावत, आनी।
भारत में खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) क्षेत्र को लंबे समय तक नज़रअंदाज़ किया गया, लेकिन अब यह क्षेत्र गाँवों से लेकर शहरों तक रोज़गार और आत्मनिर्भरता की नई मिसाल बन चुका है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना — प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम (PMFME Scheme) — ने देश के सूक्ष्म उद्यमों को संगठित करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का बड़ा मंच दिया है।
यह योजना वर्ष 2020 में ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य उन छोटे और पारंपरिक खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को औपचारिक रूप देना है, जो अब तक बिना किसी रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस या तकनीकी सहायता के छोटे स्तर पर काम कर रही थीं।
उद्देश्य – स्वरोज़गार से आत्मनिर्भरता तक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू हुई इस योजना का मुख्य लक्ष्य है –
> “छोटे उद्यमियों को पहचान देना, उन्हें वित्तीय मदद पहुंचाना और स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बाज़ार तक पहुंचाना।”
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) के अनुसार, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों ऐसे परिवार हैं जो पारंपरिक रूप से अचार, पापड़, जैम, मुरब्बा, अनाज उत्पाद या मसाले बनाते रहे हैं। इन लोगों के कौशल को सशक्त कर औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाना ही PMFME का प्रमुख उद्देश्य है।
योजना का स्वरूप और दायरा
PMFME योजना को केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर संचालित कर रही हैं।
यह एक पाँच वर्ष की केंद्रीय प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme) है, जिसकी कुल लागत लगभग ₹10,000 करोड़ है।
इस योजना के तहत निम्नलिखित प्रकार के लाभार्थी पात्र हैं:
1. व्यक्तिगत उद्यमी (Individual Entrepreneurs)
2. स्वयं सहायता समूह (SHGs)
3. सहकारी समितियाँ (Co-operatives)
4. किसान उत्पादक संगठन (FPOs)
वित्तीय सहायता और सब्सिडी
योजना के तहत सरकार परियोजना लागत का 35% तक अनुदान (Subsidy) देती है।
यह सब्सिडी ₹10 लाख तक की सीमा में दी जाती है।
लाभार्थी को खुद कम से कम 10% निवेश करना होता है, जबकि शेष राशि बैंक लोन के माध्यम से उपलब्ध होती है।
उदाहरण के लिए – यदि कोई उद्यमी ₹10 लाख की मसाला ग्राइंडिंग यूनिट लगाना चाहता है, तो सरकार ₹3.5 लाख की सहायता देगी, उद्यमी को ₹1 लाख लगाना होगा और ₹5.5 लाख बैंक से टर्म लोन के रूप में लिया जा सकता है।
‘एक ज़िला एक उत्पाद’ (ODOP) से स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा
PMFME योजना का सबसे अनोखा पहलू है ODOP – One District One Product।
हर ज़िले के पारंपरिक या प्रसिद्ध खाद्य उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए उसे चुना गया है।
जैसे –
कुल्लू (हिमाचल) में – सेब उत्पाद
कांगड़ा – चाय
अमृतसर – अचार
बरेली – नमकीन
जयपुर – मुरब्बा
इंदौर – मसाले
इस मॉडल के ज़रिए न केवल स्थानीय पहचान को बढ़ावा मिलता है, बल्कि किसानों और कारीगरों को सीधा बाज़ार भी मिलता है।
कैसे किया जाता है आवेदन
इस योजना का पूरा आवेदन ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से होता है —
https://pmfme.mofpi.gov.in
आवेदन की प्रक्रिया:
1. पोर्टल पर “Apply Online” विकल्प चुनें।
2. अपना लॉगिन बनाकर व्यक्तिगत या समूह आधारित आवेदन भरें।
3. परियोजना रिपोर्ट (DPR) और आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें।
4. आवेदन बैंक और जिला उद्योग केंद्र (DIC) को भेजा जाता है।
5. बैंक द्वारा लोन स्वीकृत होने पर सरकार की सब्सिडी बैक-एंड में सीधे बैंक को दी जाती है।
ज़रूरी दस्तावेज़
आधार कार्ड, पैन कार्ड
बैंक पासबुक
DPR (परियोजना रिपोर्ट)
किराया/भूमि दस्तावेज़
कोटेशन ऑफ मशीनरी
पासपोर्ट फोटो
यदि हो तो FSSAI, GST, या Udyam रजिस्ट्रेशन
कौन-कौन सी यूनिट्स पात्र हैं
PMFME योजना लगभग सभी खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों को शामिल करती है, जैसे:
फल-सब्ज़ी प्रसंस्करण (जैम, जूस, स्क्वैश, पल्प आदि)
अचार, पापड़, मसाला, मुरब्बा
दूध उत्पाद (Paneer, Ghee, Curd)
बेकरी आइटम (Biscuits, Bread, Cakes)
अनाज आधारित उत्पाद (Atta, Rice Flakes, Poha)
नूडल्स, नमकीन, चिप्स
पैकेजिंग और लेबलिंग यूनिट्स
ब्रांडिंग और मार्केटिंग में सहायता
कई सूक्ष्म उद्यमी उत्पादन तो कर लेते हैं लेकिन ब्रांडिंग या मार्केटिंग की जानकारी की कमी के कारण पीछे रह जाते हैं।
PMFME योजना ऐसे उद्यमियों को ब्रांड विकास, पैकेजिंग डिज़ाइन, मार्केट कनेक्शन और ऑनलाइन बिक्री (e-commerce platforms) में भी सहायता देती है।
उदाहरण के तौर पर, हिमाचल के एक SHG ने “हिमफ्रेश” नाम से सेब जैम ब्रांड लॉन्च किया।
आज यह उत्पाद Amazon और Flipkart पर बिक रहा है — यह PMFME की ही देन है।
क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण
योजना के तहत हर उद्यमी को प्रशिक्षण और हैंडहोल्डिंग दिया जाता है।
यह प्रशिक्षण State Level Technical Institutions और NGOs के माध्यम से होता है।
उन्हें सिखाया जाता है:
बिजनेस मैनेजमेंट
गुणवत्ता नियंत्रण (Quality Control)
खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता मानक
मार्केटिंग और डिजिटल सेल्स स्किल्स
राज्यों में क्रियान्वयन और प्रभाव
देशभर में PMFME योजना के तहत अब तक दो लाख से अधिक उद्यमियों को औपचारिक सहायता मिली है।
हिमाचल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में यह योजना विशेष रूप से सफल रही है।
कई ग्रामीण महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह बनाकर अचार, जैम और मसाले के छोटे उद्योग शुरू किए हैं।
यह महिलाएँ अब हर महीने ₹15,000 से ₹30,000 तक की आय अर्जित कर रही हैं।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
PMFME योजना न केवल एक आर्थिक कार्यक्रम है बल्कि यह सामाजिक बदलाव का प्रतीक भी बन चुकी है।
इससे लाखों युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिला, प्रवासी मज़दूरों को गाँव में ही काम करने का अवसर मिला और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान आई।
संपर्क और सहायता
Ministry of Food Processing Industries (MoFPI)
Email: pmfme@mofpi.gov.in
Helpline: 1800-180-1861
Website: https://pmfme.mofpi.gov.in
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