डी० पी०रावत।
24 सितम्बर,आनी (कुल्लू)।
हिमाचल प्रदेश के ज़िला कुल्लू के शिक्षा खण्ड आनी के तहत आने वाले सभी सरकारी स्कूलों में कार्यरत मध्याह्न भोजन योजना (Mid Day Meal Scheme) के तहत तैनात रसोइयों एवं सह सहायकों (Cook-cum-Helpers) के लिए एक दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यह प्रशिक्षण आगामी 28 सितम्बर को आयोजित होगा, जिसमें कुल 142 स्कूलों से 196 मिड-डे मील कर्मी शामिल होंगे।
यह प्रशिक्षण शिक्षा विभाग की पहल पर आयोजित किया जा रहा है, ताकि स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को मिलने वाले मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता, पोषण स्तर और स्वच्छता मानकों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
तीन केंद्रों से जुड़े रहेंगे प्रतिभागी
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को लेकर शिक्षा विभाग ने विशेष तैयारियां की हैं। प्रशिक्षण हेतु आनी शिक्षा खण्ड में तीन वर्चुअल प्रशिक्षण केंद्र बनाए गया हैं –
1. राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, आनी – यहाँ से सबसे अधिक 87 प्रतिभागी, 61 स्कूलों से जुड़ेंगे।
2. राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, दलाश – यहाँ से 41 प्रतिभागी, 32 स्कूलों से प्रशिक्षण में शामिल होंगे।
3. राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, शवाड – यहाँ से 49 स्कूलों के 68 कर्मी जुड़ेंगे।
तीनों केंद्रों से प्रशिक्षार्थी ऑनलाइन माध्यम से राज्य स्तरीय प्रशिक्षकों के साथ जुड़े रहेंगे।
मिड-डे मील योजना की अहमियत
मिड-डे मील योजना विद्यालयों में बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य सुधारने के साथ-साथ शिक्षा के स्तर को बढ़ावा देने की एक अहम पहल है। इस योजना के अंतर्गत बच्चों को प्रतिदिन पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है।
लेकिन यह तभी संभव है, जब भोजन बनाने वाले रसोइए और सहायक स्वच्छता, पोषण संबंधी दिशा-निर्देशों और प्रबंधन के पहलुओं की सही जानकारी रखें। इसी दृष्टि से समय-समय पर उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है।
प्रशिक्षण में शामिल होंगे ये विषय
सूत्रों के अनुसार 28 सितम्बर को आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में निम्नलिखित विषयों पर विस्तार से चर्चा होगी –
भोजन बनाने में स्वच्छता और सुरक्षा मानकों का पालन
बच्चों के लिए संतुलित और पौष्टिक भोजन तैयार करने की विधियां
स्थानीय उत्पादों और मौसमी सब्ज़ियों का अधिकतम उपयोग
भोजन के संरक्षण और भंडारण की तकनीक
गैस, चूल्हे और अन्य उपकरणों के सुरक्षित उपयोग की जानकारी
बच्चों को भोजन वितरण की प्रक्रिया में स्वच्छता मानक
इसके अलावा प्रशिक्षकों द्वारा मिड-डे मील योजना के नए दिशा-निर्देशों और नियमों की भी जानकारी दी जाएगी।
शिक्षा विभाग का उद्देश्य
आनी के खण्ड प्राथमिक शिक्षा अधिकारी (BPEO) शान्ति देवी ने बताया कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य मिड-डे मील कर्मियों को व्यावहारिक ज्ञान और कौशल प्रदान करना है, ताकि वे बच्चों के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन तैयार कर सकें।
उन्होंने कहा कि इस तरह की ट्रेनिंग से न केवल भोजन की गुणवत्ता बेहतर होगी बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
196 मिड-डे मील कर्मियों की भागीदारी
आनी शिक्षा खण्ड के सभी 142 स्कूलों में कार्यरत कुल 196 मिड-डे मील कर्मी इस प्रशिक्षण का हिस्सा बनेंगे। इनमें अधिकांश महिलाएं शामिल हैं, जो प्रतिदिन सैकड़ों बच्चों के लिए भोजन तैयार करती हैं।
शिक्षा विभाग का मानना है कि प्रशिक्षण के उपरांत ये कर्मी और अधिक दक्षता व उत्साह के साथ अपने कार्य को अंजाम देंगे।
कैसे होगी ट्रेनिंग
यह ट्रेनिंग पूरी तरह ऑनलाइन मोड में आयोजित की जाएगी।
हर जिले में कुछ चुनिंदा गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल (GSSS) को नोडल सेंटर बनाया गया है।
संबंधित स्कूलों के कुक-कम-हेल्पर्स अपने क्षेत्र के नोडल स्कूल में इकट्ठा होकर ICT हॉल में ऑनलाइन प्रशिक्षण लेंगे।
प्रशिक्षण का समय सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक तय किया गया है।
इस दौरान उन्हें नोट्स, पेन और लंच की व्यवस्था भी उपलब्ध करवाई जाएगी।
स्थानीय स्तर पर भी लाभ
इस प्रशिक्षण से स्थानीय स्तर पर कई फायदे होंगे। एक तो भोजन की गुणवत्ता बेहतर होगी, जिससे बच्चों की पोषण संबंधी आवश्यकताएं पूरी होंगी। दूसरा, स्कूलों में बच्चों का रुझान बढ़ेगा और ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी। तीसरा, रसोइयों को सुरक्षित कार्य पद्धतियों की जानकारी मिलने से दुर्घटनाओं की संभावना कम होगी।
अभिभावकों और पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका
अभिभावक और पंचायत प्रतिनिधि भी मिड-डे मील योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शिक्षा विभाग ने उनसे भी अपेक्षा जताई है कि वे विद्यालयों में बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन की निगरानी करें और किसी भी समस्या की सूचना संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाएं।
योजना को और मजबूत बनाएगी ट्रेनिंग
ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में शिक्षा को प्रोत्साहन देने और बच्चों को पोषण सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए मिड-डे मील योजना एक सशक्त माध्यम है। आनी उपमंडल में इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन से यह उम्मीद की जा रही है कि स्कूलों में बच्चों को और अधिक स्वच्छ, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध होगा।
निष्कर्ष
28 सितम्बर को होने वाला यह ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल मिड-डे मील कर्मियों के लिए सीखने का अवसर होगा बल्कि यह भविष्य की पीढ़ी को स्वस्थ और सशक्त बनाने की दिशा में एक ठोस कदम भी साबित होगा।
शिक्षा विभाग का यह प्रयास ग्रामीण स्तर पर शिक्षा और पोषण के क्षेत्र में एक नई ऊर्जा का संचार करेगा।
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