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श्रद्धांजलि: आनी में भूस्खलन त्रासदी में पांच लोगों की मौत, विधायक लोकेंद्र कुमार ने जताया दुःख

 



हिमाचल प्रदेश के आनी विधानसभा क्षेत्र के शमानी गाँव में अचानक आए भूस्खलन ने ली निर्दोष जानें, तीन लोग बचाव दलों ने मलबे से निकालकर जिंदगी की नई उम्मीद दी। विधायक ने पीड़ित परिवारों से मिलकर जताया संवेदना।


डी० पी०रावत, निरमण्ड(आनी), हिमाचल प्रदेश: प्रकृति के कहर ने एक बार फिर हिमाचल प्रदेश के कोने में स्थित एक छोटे से गाँव को हिलाकर रख दिया है। आनी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत विकास खंड निरमंड की ग्राम पंचायत घाटू के शमानी गाँव में हुए एक भीषण भूस्खलन ने पूरे इलाके में त्राहि-त्राहि मचा दी। यह हादसा इतना भयावह और पीड़ादायक था कि इसने पल भर में पांच लोगों की जिंदगी की डोर तोड़ दी और कई परिवारों को अंधकार में धकेल दिया।


इस त्रासदी ने जिस तरह से गाँव वालों को अपनी चपेट में लिया, वह हृदय विदारक है। इस घटना की जानकारी मिलते ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और आनी विधानसभा क्षेत्र के विधायक लोकेंद्र कुमार तुरंत मौके पर पहुँचे। उन्होंने न केवल राहत और बचाव कार्यों का जायजा लिया, बल्कि प्रभावित परिवारों से मिलकर उन्हें संबल भी दिया।


विधायक का संवेदनापूर्ण स्पर्श और श्रद्धांजलि


विधायक लोकेंद्र कुमार ने इस घटना को अत्यंत दुःखद और पीड़ादायक बताया। उन्होंने मलबे में दबकर अपनी जान गंवाने वाली दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित की और प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, "यह हादसा हृदय विदारक है। जिसमें हमारे अपने लोगों को हमने खोया है। इस आपदा ने हमें कभी न भरने वाले जख्म दिए हैं। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि दिवंगत आत्माओं को शांति और शोकाकुल परिजनों को इस मुश्किल घड़ी में संबल प्रदान करें। साथ ही, मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ।"


कैसे टूटा प्रकृति का कहर?


बताया जा रहा है कि यह घटना सोमवार की देर रात अचानक भारी बारिश के बाद हुई। अचानक पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा खिसककर गाँव के कई घरों पर आ गिरा। जिसकी आवाज़ सुनकर आसपास के लोगों ने जब मदद के लिए पहुँचे तो वहाँ का नजारा देखकर सब सन्न रह गए। मलबे में दबे लोगों की चीखें सुनकर लोगों ने तुरंत प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम को सूचना दी। रातों-रात चले बचाव अभियान में तीन लोगों को मलबे से सुरक्षित निकाल लिया गया, लेकिन दुर्भाग्यवश पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।


बचाव अभियान: रात भर चली मुश्किलों से जंग


इस त्रासदी की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन और एसडीआरएफ (State Disaster Response Force) की टीमें रात में ही मौके पर पहुँच गईं। मौसम की विपरीत परिस्थितियों और लगातार जारी बारिश के बावजूद बचावकर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालने का काम जारी रखा। उनकी इस साहसिक कोशिश का ही नतीजा था कि तीन लोगों को जिंदा बचाया जा सका। बचाए गए लोगों को तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहाँ उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार उनकी हालत अब स्थिर है।

 सहायता का संकल्प


मृतकों के उनके परिवारों को तुरंत राहत राशि उपलब्ध कराने के निर्देश विधायक लोकेंद्र कुमार ने प्रशासन को दिए हैं। राज्य सरकार द्वारा मृतकों के परिवार को आर्थिक सहायता देने का भी ऐलान किया गया है। स्थानीय प्रशासन ने बताया कि आपदा प्रबंधन प्रोटोकॉल के तहत सभी जरुरी कदम उठाए जा रहे हैं। प्रभावित लोगों के लिए अस्थायी आवास और भोजन की व्यवस्था भी की गई है।


एक गहरा सवाल: क्या प्रकृति हमें कुछ कह रही है?


यह घटना सिर्फ एक अकेली घटना नहीं है, बल्कि पूरे हिमालयी क्षेत्र में बढ़ रहे अंधाधुंध निर्माण, सड़कों के चौड़ीकरण के लिए पहाड़ों की अनियंत्रित कटाई और जलवायु परिवर्तन के गंभीर खतरे की ओर एक और इशारा है। शमानी गाँव जैसे इलाके, जो पहले भी भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील रहे हैं, वहाँ ऐसी त्रासदियाँ लगातार बढ़ रही हैं। यह घटना हम सभी के लिए एक चेतावनी है कि हम प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाकर चलें और सरकार स्तर पर ऐसे संवेदनशील इलाकों की पहचान करके वहाँ निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर बसाने की योजना पर गंभीरता से काम करे।


समुदाय का साथ: दुःख की इस घड़ी में एकजुटता


इस दुःख की घड़ी में पूरा समुदाय एकजुट होकर सामने आया है। आसपास के गाँवों के लोग भी राहत और बचाव कार्य में हाथ बंटा रहे हैं। स्थानीय समाज सेवी संगठनों ने भी प्रभावितों की मदद के लिए आगे आना शुरू कर दिया है। यह एकजुटता ही है जो ऐसी विपदाओं में मानवता की आशा की किरण बनी रहती है।


भविष्य की राह


अब सवाल यह उठता है कि आने वाले दिनों में ऐसी घटनाओं से कैसे निपटा जाए? विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ी इलाकों में भूगर्भिक सर्वेक्षण (Geological Survey) को और मजबूत करने की जरूरत है। संवेदनशील जोन की पहचान करके वहाँ अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाया जाना चाहिए। साथ ही, जनता को भी जागरूक होना होगा और सरकार द्वारा बताए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।


शमानी गाँव की यह त्रासदी एक गहरा घाव दे गई है, जिसे भरने में वक्त लगेगा। लेकिन, विधायक लोकेंद्र कुमार जी के नेतृत्व में प्रशासन द्वारा दिखाई गई तत्परता और स्थानीय लोगों का एकजुटता का भाव यह उम्मीद दिलाता है कि प्रभावित परिवार इस संकट से उबर पाएंगे। 

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