📍 डी० पी० रावत| विशेष रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक आपदाओं का प्रदेश रहा है। हर साल बरसात, भूस्खलन, बादल फटना और बाढ़ जैसी घटनाएँ लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल देती हैं। लेकिन इन मुश्किल हालात में जो लोग सबसे आगे खड़े रहते हैं, वे हैं हमारे आपदा वीर।
🪖 भारतीय सेना – हर संकट में सबसे आगे
पहाड़ी इलाकों में जहां पहुंचना भी मुश्किल हो, वहां भारतीय सेना के जवान अपनी जान जोखिम में डालकर राहत और बचाव अभियान चलाते हैं। इस मॉनसून में भी सेना ने दुर्गम क्षेत्रों से सैकड़ों परिवारों को सुरक्षित निकाला।
👮 हिमाचल प्रदेश पुलिस – कानून और राहत की जिम्मेदारी
आपदा के समय पुलिस ट्रैफिक नियंत्रण, फंसे यात्रियों की मदद और रेस्क्यू अभियान में अहम भूमिका निभाती है। इस बरसात में पुलिस ने नदियों-नालों के किनारे से कई लोगों को हटाकर बड़ा हादसा टाला।
🛡️ होम गार्ड्स और सिविल डिफेंस – हर गांव में मददगार
होम गार्ड्स व सिविल डिफेंस आपदा राहत कार्यों की रीढ़ हैं। मलबा हटाना, राहत सामग्री का वितरण और प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाना इनका अहम योगदान है।
🧯 अग्निशमन विभाग की भूमिका आपदा में
आगजनी, भूकंप, बाढ़ या हादसों में अग्निशमन विभाग त्वरित रेस्क्यू, आग पर नियंत्रण, घायलों की मदद और सुरक्षित निकासी में अहम योगदान देता है।
🚨 NDRF और SDRF – प्रशिक्षित बचाव दल
राष्ट्रीय और राज्य आपदा मोचन बल आधुनिक उपकरणों के साथ जीवन रक्षक साबित होते हैं। बादल फटने और भूस्खलन जैसी घटनाओं में इनकी विशेषज्ञता ने कई जिंदगियां बचाई हैं
🎓 NCC, NSS और Scout & Guides – युवा शक्ति का योगदान
युवाओं ने भी आपदा राहत कार्यों में अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। शिविरों में सहयोग, राहत सामग्री पहुंचाना और लोगों को जागरूक करना इनके साहस का प्रमाण है।
🏞️ आम नागरिक और स्वयंसेवी संस्थाएँ – सेवा की मिसाल
स्थानीय लोग और स्वयंसेवी संगठन भी राहत कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। भोजन, दवाइयां और आश्रय देकर वे पीड़ित परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बनते हैं।
✍️ निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश में आपदा प्रबंधन का असली चेहरा हैं ये आपदा वीर। चाहे सेना और पुलिस हों या युवा कैडेट्स, SDRF, होम गार्ड्स या स्थानीय स्वयंसेवी — सभी ने मिलकर साबित किया है कि सेवा और साहस से बड़ी कोई ताकत नहीं।
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