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बूढ़ी दीवाली मेला निरमण्ड जैसी सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण हम सब का दायित्व: बुद्धि सिंह ठाकुर,चेयरमैन, हि० प्र० राज्य मिल्क फैडरेशन।



17 नवम्बर, निरमण्ड।

डी० पी०रावत,सम्पादक।

अखण्ड भारत दर्पण (ABD) न्यूज़।


प्राचीन संस्कृति और परंपराओं का धरोहर माने जाने वाले ज़िला स्तरीय बूढ़ी दीवाली  मेले की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है। मेला कमेटी निरमण्ड की महत्वपूर्ण बैठक आज समिति हॉल निरमण्ड में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता प्रदेश मिल्कफेड्रेशन के अध्यक्ष बुद्धि सिंह ठाकुर ने की।

बैठक में विशेष रूप से पूर्व एपीएमसी चेयरमैन कुल्लू एवं लाहुल–स्पीति यूपेंद्र कांत मिश्रा, नगर पंचायत अध्यक्षा ममता रानी, उपाध्यक्ष विकास शर्मा, पूर्व निदेशक मिल्कफेड कुलवंत राज कश्यप, तथा मेला कमेटी अध्यक्ष एसडीएम निरमंड मनमोहन सिंह सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।

परंपरा के मुताबिक मेले का स्वरूप तय


बैठक में इस वर्ष के मेले का स्वरूप पुराने रीति–रिवाज़ों और प्राचीन परंपराओं के अनुरूप रखने का निर्णय लिया गया।

रात्रि समय आयोजित होने वाले ऋग्वेद में वर्णित इंद्र–वृतासुर युद्ध नृत्य को इस बार और अधिक पारंपरिक स्वरूप में प्रस्तुत किया जाएगा। यह वही परंपरा है जिसे निरमंड वासी सदियों से संजोकर पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाते आ रहे हैं।

धरोहर को बचाने का सामूहिक संकल्प” – बुद्धि सिंह ठाकुर

मिल्कफेड्रेशन के अध्यक्ष बुद्धि सिंह ठाकुर ने कहा कि निरमंड की यह परंपरा प्रदेश की अमूल्य सांस्कृतिक संपदा है और इसे भव्यता के साथ जीवित रखना सभी का दायित्व है।

उन्होंने कहा—“यह मेला हमारी विरासत है, इसे और सशक्त स्वरूप देने के लिए सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग दिया जाएगा।”


अधिकारियों की मौजूदगी में हुई विस्तृत समीक्षा

बैठक में मेले की सुरक्षा व्यवस्था, मंचन, पारंपरिक गतिविधियों, व्यवस्थाओं और यातायात प्रबंधन पर भी विस्तार से चर्चा की गई। इस दौरान तहसीलदार रजत शर्मा, एक्सईएन लोक निर्माण विभाग आनंद शर्मा, माता अम्बिका मंदिर के कारदार पुष्पेंद्र शर्मा, पार्षद देवराज कश्यप, अमर चंद, पदमा शर्मा, उषा शर्मा, विद्या भारद्वाज सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।



निरमण्ड तैयार—एक बार फिर जगमगाएगी बूढ़ी दिवाली

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के इस मेले को इस बार और अधिक व्यवस्थित, पारंपरिक और आकर्षक बनाने की तैयारी पूरी कर ली गई है।

निरमण्ड एक बार फिर प्राचीन संस्कृति, देव परंपरा और बूढ़ी दिवाली की अनोखी चमक से जगमगाएगा।

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