प्राथमिक शिक्षकों का शिमला में विशाल धरना, पुरानी मांगों पर सरकार घिरी; प्रदेशभर में आंदोलन की तैयारी
डी० पी० रावत।
आनी,3 अक्तूबर।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला इस बार फिर शिक्षकों की आवाज़ से गूंजने वाली है। प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने 5 अक्टूबर 2025 को चौड़ा मैदान शिमला में बड़ा धरना देने का ऐलान किया है। संघ का कहना है कि सरकार बार-बार आश्वासन तो देती रही, लेकिन पदोन्नति, वेतन विसंगति, गैर-शिक्षण कार्यों का बोझ और सेवा शर्तों में सुधार जैसी पुरानी मांगें आज तक अधर में लटकी हुई हैं।
संघ के प्रदेशाध्यक्ष ने साफ कहा – “हम पिछले कई सालों से इंतज़ार कर रहे हैं। अगर सरकार अब भी चुप रही, तो आंदोलन प्रदेशव्यापी हड़ताल का रूप लेगा।"
क्यों गुस्से में हैं प्राथमिक शिक्षक?
हिमाचल प्राथमिक शिक्षक संघ की कार्यकारिणी ने सितंबर में बैठक कर 2025 की आंदोलन रणनीति तय की। इसमें साफ कहा गया कि सरकार ने हाल ही में शिक्षा व्यवस्था में कुछ बदलाव तो किए, लेकिन शिक्षकों की समस्याओं पर ठोस पहल नहीं हुई।
संघ की प्रमुख मांगें:
1. पदोन्नति में देरी –
2025 भर्ती के तहत 5 वर्षीय पदोन्नति प्रक्रिया को अभी तक लागू नहीं किया गया। हजारों शिक्षक पदोन्नति के इंतज़ार में हैं।
2. वेतन और भत्तों की विसंगति –
महंगाई भत्ते और अन्य लाभों में असमानता दूर करने की मांग बार-बार उठी, लेकिन समाधान नहीं मिला।
3. गैर-शिक्षण कार्यों से मुक्ति –
चुनाव ड्यूटी, सर्वे, विभागीय रिकॉर्ड-कीपिंग जैसे गैर-शैक्षणिक कार्यों ने शिक्षकों का बोझ बढ़ाया।
4. सेवा शर्तों और नियमों में सुधार –
लाइब्रेरी से जुड़ी स्कीमें, उपमंडल स्तर पर लंबित फाइलें और विभागीय अनुशासनात्मक नियम आज भी पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं।
"अगर सरकार नहीं मानी तो हड़ताल"
संघ के महासचिव ने मीडिया से कहा –
"अप्रैल 2025 में जब हमने आवाज़ उठाई थी तो कई शिक्षकों पर वेतन कटौती और निलंबन जैसी कार्रवाइयां हुईं। लेकिन इससे शिक्षकों का मनोबल नहीं टूटा। इस बार हम और मज़बूत होकर आएंगे।"
संघ ने चेतावनी दी कि अगर 5 अक्टूबर के धरने के बाद भी सरकार ने सकारात्मक कदम नहीं उठाए, तो प्रदेशभर में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू होगी। इसका सीधा असर स्कूली बच्चों की पढ़ाई पर पड़ेगा, जिसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी।
सरकार का रुख क्या है?
शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है –
"हम शिक्षकों की सभी मांगों पर विचार कर रहे हैं। लेकिन स्कूलों की नियमितता बनाए रखना भी सरकार की प्राथमिकता है।"
हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह धरना सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है। खासकर जब प्रदेश में अगले साल चुनावी माहौल गर्म होने वाला है।
पृष्ठभूमि: वर्षों से लंबित मांगें
हिमाचल के प्राथमिक शिक्षक लंबे समय से समान मुद्दों को लेकर सड़क पर उतरते रहे हैं।
2019, 2021 और 2023 में भी शिमला में धरना हुआ था।
हर बार आश्वासन मिला, लेकिन स्थायी समाधान नहीं हुआ।
2025 की शुरुआत में भी जब शिक्षकों ने प्रदर्शन किया, तब सरकार ने कुछ सुधारों का वादा किया था।
परिणामस्वरूप, अब शिक्षक समुदाय का धैर्य जवाब दे रहा है।
धरने से पहले माहौल गरम
5 अक्टूबर को होने वाले इस प्रदर्शन को लेकर पूरे प्रदेश के विभिन्न जिलों से शिक्षक शिमला पहुंचेंगे। अनुमान है कि 3 से 5 हज़ार शिक्षक इस धरने में शामिल होंगे।
संघ का कहना है कि –
"यह लड़ाई केवल हमारे हक़ की नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए भी है।"
अभिभावकों की चिंता
धरने की घोषणा से छात्रों के अभिभावक भी चिंतित हैं। कई माता-पिता का कहना है कि –
"अगर बार-बार धरना-हड़ताल होती रही तो बच्चों की पढ़ाई सबसे ज़्यादा प्रभावित होगी। सरकार और शिक्षक संघ को बीच का रास्ता निकालना चाहिए।"
चुनावी असर और दबाव
विशेषज्ञों का मानना है कि इस धरने का राजनीतिक असर गहरा होगा।
शिक्षा हमेशा से हिमाचल की राजनीति में अहम मुद्दा रही है।
शिक्षकों का वर्ग प्रदेश में एक बड़ा वोट बैंक माना जाता है।
अगर यह आंदोलन लंबा खिंच गया, तो सत्ताधारी दल पर दबाव बढ़ेगा और विपक्ष इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना सकता है।
क्या होगा आगे?
5 अक्टूबर: शिमला में चौड़ा मैदान पर विशाल धरना
मांगें पूरी नहीं हुईं तो प्रदेशव्यापी हड़ताल की तैयारी
सरकार और संघ के बीच टकराव बढ़ने की आशंका
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