14 अक्तूबर, चंबा।
भूषण गुरंग | ज़िला ब्यूरो
अखण्ड भारत दर्पण (ABD) न्यूज़।
हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा के उपमंडल तीसा से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। इलाज के लिए अस्पताल पहुंची एक महिला ने ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर पर फोन पर अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया है। यह पूरा घटनाक्रम उस वक्त चर्चा में आया, जब महिला का बयान वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगा। देखते ही देखते यह मामला स्थानीय जनता के गुस्से और प्रशासनिक हलकों में गर्म चर्चाओं का विषय बन गया।
“डॉक्टर ने फोन पर झिड़क दिया…” — महिला का आरोप
पीड़ित महिला के अनुसार, उसकी ढाई साल की बच्ची बीमार थी। वह बच्ची को लेकर तीसा अस्पताल पहुंची, ताकि उसे बेहतर इलाज मिल सके। अस्पताल में नर्स ने दवा तो दे दी, लेकिन महिला ने डॉक्टर से सीधे बात करने की इच्छा जताई, ताकि अपनी बच्ची की स्थिति बेहतर तरीके से समझा सके।
लेकिन आरोप है कि डॉक्टर ने अस्पताल में आने से इनकार कर दिया और फोन पर ही महिला से अभद्र भाषा में बात की। महिला ने बताया, “मैं सिर्फ अपनी बच्ची के इलाज के लिए डॉक्टर से बात करना चाहती थी। लेकिन उन्होंने मुझे उल्टा डांट दिया और बहुत ही बुरा बर्ताव किया।”
महिला ने यह भी आरोप लगाया कि नर्स और स्टाफ ने इस मामले में कोई खास सहयोग नहीं किया, जिससे उसे काफी मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा।
वीडियो वायरल होते ही मचा हड़कंप
महिला ने यह पूरा मामला सोशल मीडिया पर एक वीडियो के ज़रिए साझा किया। कुछ ही घंटों में वीडियो वायरल हो गया। तीसा से लेकर चंबा तक इस घटना को लेकर लोग अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करने लगे।
कई लोगों ने स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था पर सवाल उठाए। स्थानीय निवासी सुरेश ठाकुर ने कहा, “अगर अस्पताल में डॉक्टर ही मरीजों से मिलने नहीं आएंगे तो गरीब लोग इलाज के लिए कहां जाएं?” वहीं एक अन्य महिला ने कहा, “बच्चों के इलाज में कोताही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। प्रशासन को सख्त कदम उठाना चाहिए।”
विधायक ने लिया संज्ञान, जांच के आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए चुराह विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. हंसराज ने सुबह ही तीसा अस्पताल पहुंचकर अधिकारियों से बात की। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी ली और अस्पताल प्रशासन को निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए।
विधायक ने कहा, “मरीज या उनके परिजनों के साथ अभद्र व्यवहार किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर डॉक्टर दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।” उन्होंने यह भी कहा कि जनता का अस्पतालों पर भरोसा बहाल रखने के लिए पारदर्शी जांच जरूरी है।
स्वास्थ्य विभाग भी हरकत में — जांच समिति गठित
घटना के सामने आते ही स्वास्थ्य विभाग ने भी तेजी दिखाई। चंबा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विपिन ठाकुर ने बताया कि सुबह उन्हें सोशल मीडिया पर वीडियो मिला, जिसमें तीसा अस्पताल के एक डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगाए गए थे।
उन्होंने तत्काल अस्पताल प्रशासन को जांच के आदेश जारी कर दिए। सीएमओ ने बताया, “हमने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जो तीन दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। दोषी पाए जाने पर कार्रवाई में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।”
मरीजों का सम्मान सबसे पहले” — जनप्रतिनिधियों की मांग
स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि स्वास्थ्य केंद्र जनता के लिए बनाए गए हैं, और मरीजों के साथ सम्मानजनक व्यवहार अस्पताल की पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए।
पंचायत प्रधान नीलम देवी ने कहा, “हम रोज़मर्रा में देखते हैं कि अस्पतालों में लोगों को लाइन में लगना पड़ता है, स्टाफ के इंतज़ार में कीमती समय चला जाता है। अगर अब डॉक्टर भी फोन पर अभद्रता करेंगे, तो यह जनता के साथ अन्याय है।”
तीसा अस्पताल पर पहले भी उठ चुके हैं सवाल
यह पहली बार नहीं है जब तीसा अस्पताल चर्चाओं में आया हो। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार डॉक्टरों और स्टाफ की अनुपलब्धता के कारण मरीजों को इलाज के लिए दूर चंबा या डलहौजी तक जाना पड़ता है।
पिछले कुछ महीनों में इस अस्पताल में कई बार स्टाफ की कमी, सुविधाओं के अभाव और लापरवाही के मामले स्थानीय स्तर पर उठाए जा चुके हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की जरूरत… जनता ने जताई नाराज़गी
इस घटना के बाद आम जनता में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर नाराज़गी और गुस्सा दोनों देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया पर भी लोग खुलकर अपनी राय रख रहे हैं। कई लोगों ने लिखा कि यह मामला सिर्फ एक महिला का नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम की समस्या को उजागर करता है।
एक यूज़र ने लिखा, “गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बहुत खराब है। डॉक्टरों का व्यवहार भी कई बार गैर-जिम्मेदाराना होता है। अगर सरकार अब भी नहीं जागी तो हालात और बिगड़ेंगे।”
प्रशासन ने दिए सख्त निर्देश
सीएमओ कार्यालय की ओर से सभी अस्पतालों को निर्देश जारी किए गए हैं कि मरीजों और उनके परिजनों के साथ संवाद में शालीनता और पेशेवर रवैये का पालन किया जाए। किसी भी तरह की अभद्रता पर सीधे अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
“डॉक्टर ने गलती की है तो कार्रवाई हो” — महिला की अपील
पीड़ित महिला ने अपनी बात दोहराते हुए कहा, “मैं किसी से झगड़ा नहीं चाहती, बस इतना चाहती हूं कि मेरी बच्ची का इलाज ठीक से हो और डॉक्टर ऐसे किसी और मरीज के साथ ऐसा व्यवहार न करें। अगर डॉक्टर ने गलती की है तो उस पर कार्रवाई हो।”
जांच रिपोर्ट का इंतज़ार… जनता की निगाहें प्रशासन पर
फिलहाल स्वास्थ्य विभाग की जांच समिति इस मामले की जांच में जुटी है। तीन दिन के भीतर रिपोर्ट आने की संभावना है। अब पूरा क्षेत्र इस बात पर टिका हुआ है कि प्रशासन इस मामले को किस तरह से हैंडल करता है।
अगर डॉक्टर पर लगे आरोप सही पाए जाते हैं तो यह स्वास्थ्य सेवाओं में जवाबदेही की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। वहीं, अगर जांच में कोई खामी रह गई तो जनता का गुस्सा और भी भड़क सकता है।
ABD विश्लेषण: “यह सिर्फ एक घटना नहीं, सिस्टम की तस्वीर है”
तीसा अस्पताल में घटी यह घटना एक महिला की पीड़ा से कहीं ज़्यादा है। यह उस व्यवस्था की झलक है जहां मरीजों की बात सुने बिना ही फैसले हो जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में अस्पतालों की सीमित सुविधाएं और स्टाफ की कमी के बीच अगर डॉक्टरों का व्यवहार भी असंवेदनशील हो जाए, तो आम आदमी के पास न्याय की उम्मीद कहां बचेगी?
यह मामला एक चेतावनी भी है — न सिर्फ प्रशासन के लिए बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र के लिए। क्योंकि अगर जनता का अस्पतालों पर भरोसा टूट गया, तो सबसे बड़ा नुकसान समाज को ही होगा।
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