हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं से हुई तबाही ने सरकार और प्रशासन को झकझोर कर रख दिया है। बरसात और भूस्खलन के दौरान हजारों घर प्रभावित हुए। जांच में सामने आया कि बड़ी संख्या में ऐसे भवन ढहे, जिनका नक्शा पास नहीं था या फिर वे नदी-नालों के किनारे बने हुए थे।
इन्हीं घटनाओं से सबक लेते हुए राज्य सरकार ने अब कड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। आने वाले समय में प्रदेश में कोई भी व्यक्ति यदि नया घर या भवन बनाना चाहता है तो उसके लिए स्ट्रक्चर डिजाइन और टीसीपी (टाउन एंड कंट्री प्लानिंग) से नक्शा पास करवाना अनिवार्य होगा।
पंचायतों को मिलेंगी बड़ी शक्तियां
अब तक नक्शा पास करवाने और निर्माण कार्य पर निगरानी की जिम्मेदारी केवल टीसीपी विभाग की थी। लेकिन अब सरकार ने यह अधिकार पंचायतों को भी देने का फैसला किया है।
पंचायत प्रतिनिधि मौके पर जाकर देख सकेंगे कि जिस जगह निर्माण हो रहा है, उसका नक्शा पास है या नहीं।
यदि कोई व्यक्ति बिना नक्शा पास करवाए भवन निर्माण कर रहा है तो पंचायत इसकी रिपोर्ट सीधे विभाग को भेजेगी।
शिकायत दर्ज होते ही विभाग कार्रवाई करेगा और अवैध निर्माण रोक दिया जाएगा।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग मंत्री राजेश धर्माणी का कहना है कि पंचायतों को मजबूत करने और जमीनी स्तर पर अवैध निर्माण रोकने के लिए यह व्यवस्था की जा रही है।
नदी-नालों से दूरी बनाना होगा अनिवार्य
प्रदेश सरकार ने साफ कर दिया है कि अब भवन निर्माण केवल सुरक्षित दूरी पर ही किया जाएगा।
नालों से कम से कम 7 मीटर और नदियों से 150 मीटर की दूरी छोड़कर ही भवन बनाए जाएंगे।
जिन लोगों के घर आपदा में नष्ट हुए हैं, उन्हें सरकार की ओर से 7 लाख रुपये नकद और 70 हजार रुपये घरेलू सामान के लिए दिए जा रहे हैं।
जिला प्रशासन प्रभावित परिवारों को राहत राशि देने के साथ-साथ यह दिशा-निर्देश भी जारी कर रहा है कि भविष्य का हर निर्माण नदी-नालों से दूर ही होगा।
प्राकृतिक आपदा के दौरान यह साफ हो गया कि जिन मकानों का निर्माण जलधाराओं के बेहद करीब हुआ था, वे सबसे पहले बह गए या ध्वस्त हो गए।
भू वैज्ञानिक की रिपोर्ट भी होगी जरूरी
राज्य सरकार ने सरकारी भवनों के निर्माण के लिए पहले ही भू वैज्ञानिकों की रिपोर्ट लेना अनिवार्य कर दिया है। अब इस पर भी विचार हो रहा है कि निजी भवनों के लिए भी भू वैज्ञानिक की रिपोर्ट अनिवार्य कर दी जाए।
यदि ऐसा होता है तो किसी भी नए भवन के लिए पहले भू वैज्ञानिक से उसकी जमीन और क्षेत्र का परीक्षण करवाना होगा। रिपोर्ट मिलने के बाद ही टीसीपी नक्शा पास करेगा।
इससे मकानों को भविष्य में भूस्खलन, धंसान या अन्य प्राकृतिक आपदाओं से बचाने में मदद मिलेगी।
क्यों जरूरी हुआ यह कदम?
हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी राज्य है, जहां हर साल भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाएं सामने आती हैं। हाल ही में हुई तबाही में हजारों घर बह गए और करोड़ों का नुकसान हुआ।
विशेषज्ञों का कहना है कि नुकसान की इतनी बड़ी वजह केवल प्राकृतिक आपदा नहीं थी, बल्कि अवैध और असुरक्षित निर्माण भी जिम्मेदार था।
कई घर बिना नक्शा पास करवाए बनाए गए थे।
कई भवन सीधे नालों और नदियों के किनारे खड़े कर दिए गए थे।
मकानों की डिजाइन भू वैज्ञानिक दृष्टि से सुरक्षित नहीं थी।
इन्हीं खामियों को देखते हुए अब सरकार ने सख्त कदम उठाने का मन बनाया है।
पंचायतों की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण?
पहाड़ी राज्यों में पंचायतें ग्रामीण विकास और स्थानीय निगरानी की रीढ़ मानी जाती हैं। प्रदेश सरकार का मानना है कि जब पंचायतों को यह अधिकार मिलेगा तो वे सीधे गांव और कस्बों में हो रहे निर्माण कार्यों पर नजर रख पाएंगी।
पंचायतें तुरंत मौके पर जाकर अवैध निर्माण पकड़ सकेंगी।
ग्रामीण स्तर पर ही लोगों को सुरक्षित निर्माण की जानकारी दी जा सकेगी।
विभाग को शिकायत भेजने में देरी नहीं होगी और समय रहते अवैध निर्माण रोका जा सकेगा।
लोगों की प्रतिक्रिया
प्रदेश में इस नए निर्णय को लेकर लोगों की मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
स्थानीय लोग मानते हैं कि यह कदम सही है क्योंकि इससे भविष्य में नुकसान से बचा जा सकेगा।
हालांकि, कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि नक्शा पास करवाने की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होनी चाहिए, वरना आम जनता को अनावश्यक परेशानी होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण भी देना होगा ताकि वे तकनीकी खामियों को सही ढंग से समझ सकें।
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरणविदों का मानना है कि हिमाचल जैसे संवेदनशील राज्य में निर्माण गतिविधियों पर नियंत्रण बेहद जरूरी है।
भू वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि निर्माण कार्य सुरक्षित ढंग से किए जाएं तो आपदाओं के नुकसान को आधा किया जा सकता है।
आर्थिक विशेषज्ञों का सुझाव है कि लोगों को राहत देने के साथ-साथ सुरक्षित मकान बनाने के लिए सरकार सस्ती लोन योजनाएं भी लाए।
आगे की राह
सरकार ने संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में अवैध निर्माण रोकने और सुरक्षित भवन निर्माण सुनिश्चित करने के लिए और भी नियम बनाए जा सकते हैं।
पंचायतों को अधिकार देने के बाद उनकी जिम्मेदारी भी तय की जाएगी।
अवैध निर्माण करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
सुरक्षित निर्माण को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे।
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