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संसद में गूंजी हिमाचल की आवाज: मंडी सांसद कंगना रनौत ने रेल परियोजनाओं में तेजी लाने की उठाई मांग, राहुल गांधी पर भी साधा निशाना

 डी पी रावत 

अखण्ड भारत दर्पण न्यूज 


संसद के शीतकालीन सत्र में गुरुवार को हिमाचल प्रदेश की आवाज जोरदार तरीके से गूंजी। मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने अपने क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या को लोकसभा में उठाते हुए केंद्र सरकार से लंबित रेल परियोजनाओं को गति देने की मांग की। उन्होंने कहा कि देश को मजबूत नेतृत्व देने वाला मंडी आज भी रेल सुविधा से वंचित है, ऐसे में अधूरी परियोजनाओं को जल्द पूरा करना बेहद जरूरी है।



रेल मंत्री से की ‘स्पेशल रिक्वेस्ट’

कंगना रनौत ने लोकसभा में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से बिलासपुर–मनाली–लेह रेल लाइन और बिलासपुर–बेरी रेल लिंक को मिशन मोड में आगे बढ़ाने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा—


भूमि अधिग्रहण में देरी से काम अटका हुआ है


परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त बजट की जरूरत है


तकनीकी सर्वेक्षण और पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिया तेज की जाए



कंगना ने कहा कि यह शिकायत नहीं, बल्कि जनता की उम्मीदों की आवाज है।


पहाड़ी क्षेत्रों के लिए रेल है जीवनरेखा

सांसद कंगना रनौत ने बताया कि मंडी जैसे पहाड़ी जिलों में रेल सेवा विकास की धुरी साबित हो सकती है। रेल कनेक्टिविटी से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय व्यापार मजबूत होगा और युवा वर्ग के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में रेल सिर्फ सफर का साधन नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था की धड़कन है।


राहुल गांधी पर कंगना का तीखा हमला


सदन में रेल परियोजनाओं की मांग के साथ-साथ कंगना रनौत अपने राजनीतिक बयान को लेकर भी सुर्खियों में रहीं। उन्होंने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नसीहत देते हुए कहा कि यदि वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसा बनना चाहते हैं, तो उन्हें भाजपा में शामिल हो जाना चाहिए।


अटल जी पर बयान से शुरू हुआ विवाद

यह विवाद राहुल गांधी के एक बयान के बाद शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार विदेशी मेहमानों को विपक्ष से मिलने से रोकती है, जबकि अटल जी के समय ऐसा नहीं होता था।

कंगना ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि अटल जी देश की धरोहर थे और उनकी तुलना राजनीतिक लाभ के लिए नहीं की जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने राहुल गांधी की नीयत पर भी सवाल उठाए।


संसद में कंगना के बयान से हिमाचल की अधूरी रेल परियोजनाओं को फिर से राष्ट्रीय बहस का विषय मिल गया है। अब देखना होगा कि सरकार इन लंबे समय से अटकी परियोजनाओं को लेकर क्या ठोस कदम उठाती है।

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