हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले के निरमंड उपमंडल की ग्राम पंचायत घाटू के शमानी गांव में सोमवार तड़के लगभग 2 बजे भयंकर भूस्खलन ने पूरे इलाके को दहला दिया। रात के सन्नाटे को चीरते हुए पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा अचानक धंस गया और सीधे एक घर पर जा गिरा। देखते ही देखते पूरा मकान मलबे में दब गया। चीख-पुकार और मातम से गांव गूंज उठा।
इस दर्दनाक हादसे में एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 8 साल की एक मासूम बच्ची अब भी लापता बताई जा रही है। हादसे में तीन लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिन्हें सिविल अस्पताल निरमंड रेफ़र किया गया है।
मृतकों की सूची – पूरा परिवार तबाह
भूस्खलन की चपेट में आए घर में रह रहे परिवार ने सबकुछ खो दिया। मलबे से निकाले गए शवों की पहचान इस प्रकार हुई है
1. ब्रेस्ती देवी (50) – पत्नी शिव राम
2. चूनी लाल (32) – पुत्र शिव राम
3. अंजु देवी (25) – पत्नी चूनी लाल
4. भूपेश (5) – पुत्र चूनी लाल
🚨 हादसे के बाद अब भी कुमारी जागृति (8 वर्ष) पुत्री चूनी लाल लापता है। प्रशासन और स्थानीय लोग लगातार मलबे को हटाकर बच्ची की तलाश कर रहे हैं।
घायल लोग – ज़िंदगी और मौत के बीच संघर्ष
हादसे में तीन लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। ये सभी एक ही परिवार के सदस्य हैं –
शिव राम (52) – पिता परिवार
धर्म दास (48) – शिव राम का छोटा भाई
कला देवी (45) – धर्म दास की पत्नी
घायलों को रातों-रात सिविल अस्पताल निरमंड ले जाया गया, जहाँ उनका उपचार जारी है।
प्रशासन की राहत और बचाव कोशिशें
घटना की जानकारी मिलते ही एसडीएम निरमंड मनमोहन सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया –
“राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है। प्रशासन, पुलिस और एनडीआरएफ की टीम मिलकर मलबा हटाने का प्रयास कर रही है। लेकिन लगातार हो रही बारिश के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी मुश्किलें आ रही हैं।”
पंचायत प्रधान की आपबीती
ग्राम पंचायत प्रधान भोगा राम ने कहा –
“रात के अंधेरे में पहाड़ टूटने की आवाज़ सुनते ही पूरा गांव डर के साए में बाहर निकल आया। हर तरफ़ अफरा-तफरी मच गई। लोग चीख रहे थे, रो रहे थे। सुबह होते-होते यह गांव मातम में डूब चुका था।”
गांव में मातम और दहशत
शमानी गांव का हर घर इस हादसे से हिल गया है। लोगों की आंखों में डर और दिलों में दर्द साफ झलक रहा है। मृतकों का परिवार गांव का मेहनती और सरल परिवार माना जाता था। स्थानीय लोग मदद के लिए लगातार जुटे हुए हैं, लेकिन बारिश और दलदल जैसे हालात बचाव को बेहद कठिन बना रहे हैं।
गांव की बुजुर्ग महिलाएं बार-बार यही कह रही थीं –
“पहाड़ हमारी ज़िंदगी का सहारा हैं, लेकिन जब यही पहाड़ टूटते हैं, तो सब कुछ तबाह कर देते हैं।”
बरसात से बिगड़े हालात
हिमाचल प्रदेश में पिछले कई दिनों से लगातार भारी बारिश हो रही है। जगह-जगह भूस्खलन हो रहे हैं, सड़कों पर आवाजाही ठप है और लोगों का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त है।
कई जगह मुख्य सड़कों पर यातायात बाधित है।
नदी-नाले उफान पर हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली और पानी की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है।
मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिससे लोगों की चिंता और बढ़ गई है।
सरकार और प्रशासन की चुनौती
ऐसे हादसों से निपटना प्रशासन के लिए भी आसान नहीं है। एसडीएम ने कहा कि स्थानीय प्रशासन पूरी कोशिश कर रहा है कि लापता बच्ची को जल्द से जल्द ढूंढा जाए और घायलों का बेहतर से बेहतर इलाज हो।
राज्य सरकार ने जिला प्रशासन को आवश्यक मदद उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। वहीं राहत और पुनर्वास के लिए पीड़ित परिवार को मदद देने की घोषणा की जा सकती है।
प्रकृति के आगे इंसान बेबस
यह हादसा एक बार फिर याद दिलाता है कि हिमालयी क्षेत्र कितनी नाज़ुक स्थिति में है। थोड़ी सी बारिश भी यहां पहाड़ों को अस्थिर बना देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और अव्यवस्थित निर्माण गतिविधियाँ भी इस तरह के हादसों की बड़ी वजह हैं।
भावनात्मक अपील
शमानी गांव का यह दर्दनाक हादसा केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की पीड़ा है। गांव का हर शख्स दुआ कर रहा है कि लापता मासूम जागृति सुरक्षित मिले।
पीड़ित परिवार की यादें और इस हादसे का ज़ख्म लंबे समय तक लोगों के दिलों में रह जाएगा।
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