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आनी उपमंडल में राजस्व स्टाफ अधूरा, आधे पद रिक्त; जनता भुगत रही प्रशासनिक सुस्ती का खामियाज़ा



डी० पी० रावत।

आनी,13 सितम्बर।

हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के उपमंडल आनी में प्रशासनिक और राजस्व स्टाफ की कमी अब जनता के लिए परेशानी का बड़ा सबब बन चुकी है। क़रीब दो वर्षों से उपमंडलीय कानूनगो का एक पद और कानूनगो भू-राजस्व अभिलेख का एक पद खाली पड़ा है। इतना ही नहीं, तहसील कार्यालय आनी में नायब तहसीलदार का एक पद तथा चौदह स्वीकृत पटवारियों के पदों में से छह पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं।

जनता भुगत रही असर

इन पदों के खाली रहने से प्रशासनिक कार्य, राजस्व से जुड़े मसले, आपदा प्रबंधन और नागरिक मामलों की रफ्तार बुरी तरह प्रभावित हो रही है। ज़मीन के रिकॉर्ड अपडेट होने में महीनों की देरी हो रही है। किसानों, बागवानों और आम नागरिकों को छोटे-छोटे कामों के लिए हफ्तों दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

गांवों से आने वाले लोग बताते हैं कि पेंशन, भूमि संबंधित प्रमाणपत्र और अन्य राजस्व सेवाओं के लिए उन्हें अनावश्यक देरी का सामना करना पड़ रहा है। आपदा प्रबंधन से जुड़े मामलों में भी स्टाफ की कमी के चलते राहत कार्यों में धीमापन देखा गया है।

लंबे समय से रिक्त पद

  • उपमंडलीय कानूनगो – 1 पद रिक्त
  • कानूनगो भू-राजस्व अभिलेख – 1 पद रिक्त
  • नायब तहसीलदार – 1 पद रिक्त
  • पटवारी – 6 पद रिक्त

यानी कुल मिलाकर 9 अहम पद खाली पड़े हैं।

प्रशानिक अधिकारियों की प्रतिक्रिया

संबंधित विभाग से जानकारी मिली है कि समय समय पर विभागीय उच्चाधिकारियों को इस बारे अवगत करवाया गया है। 

जनता की नाराज़गी

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब आधे से अधिक राजस्व पद खाली रहेंगे तो फिर कामकाज कैसे चलेगा। लोगों का आरोप है कि सरकार और प्रशासन केवल आश्वासन देते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात जस के तस हैं।

स्थानीय लोगों ने कहा- “हमारे छोटे-छोटे काम भी महीनों तक अटके रहते हैं। फसल का नुकसान हो या ज़मीन की पैमाइश का मसला, सब कुछ अटक जाता है"

स्थानीय विधायक लोकेंद्र कुमार की प्रतिक्रिया 

स्थानीय विधायक लोकेंद्र कुमार से ABD न्यूज़ ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने के लिए whats App के ज़रिए सम्पर्क किया मगर उन्होंने कोई भी जवाब नहीं दिया।

विकास कार्यों पर असर

पदों की कमी का सीधा असर विकास कार्यों और योजनाओं पर भी पड़ा है। राजस्व अभिलेख समय पर अपडेट न होने से सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में ग्रामीणों को कठिनाई आती है। आपदा की स्थिति में राहत राशि का वितरण भी विलंब से हो रहा है।


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