Breaking News

10/recent/ticker-posts

"सहमरण" यानी सतीप्रथा।

अखंड भारत दर्पण (ABD) न्यूज भारत : पति की मृत्यु के बाद उसकी विधवा को एक कटोरा भांग और धतूरा पिलाकर नशे में मदहोश कर दिया जाता था।

जब वह श्मशान की ओर जाती थी, कभी हँसती थी, कभी रोती थी तो कभी रास्ते में जमीन पर लेटकर ही सोना चाहती थी, और यही उसका सहमरण (सती) के लिए जाना था। इसके बाद उसे चिता पर बैठा कर कच्चे बांस की मचिया बनाकर दबाकर रखा जाता था क्योंकि डर रहता था कि शायद दाह होने वाली नारी दाह की जलन न सह सके।

चिता पर बहुत अधिक राल और घी डालकर इतना अधिक धुआँ कर दिया जाता था कि उस रसम को देखकर कोई डर न जाए और दुनिया भर के ढोल, करताल और शंख बजाए जाते थे ताकी कोई उसका चिल्लाना, रोना-धोना, अनुनय विनय न सुनने पाए, बस यही तो था "सहमरण" यानी सतीप्रथा।

ऐसी कुप्रथा से निकालकर संविधान में पुरुषों के बराबर महिलाओं को सम्मान दिलाने वाले महापुरुषों, बाबा साहब डॉ बी. आर. आंबेडकर को कोटि कोटि नमन जिन्होंने नारी को समझा नारी को सम्मान दिया।


Post a Comment

0 Comments