डी० पी० रावत।
ऑनलाइन डैस्क
अक्सर देश भर के पुलिस थाना परिसर में और पुलिस कस्टडी में अक्सर कलंदरा धारा 107 और 151 (CrPC) का दुरुपयोग होने की शिकायतें सामने आ रही हैं। छोटी-सी कहासुनी या विवाद को भी पुलिस शांति भंग की आशंका बताकर कलंदरा केस में बदल देती है। इससे आम नागरिकों को न केवल मानसिक और आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ती हैं बल्कि उनके मौलिक अधिकारों पर भी चोट पहुंचती है।
क्या है धारा 107 और 151?
धारा 107 CrPC : शांति भंग होने की आशंका पर मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही।
धारा 151 CrPC : अगर पुलिस को लगे कि कोई व्यक्ति शांति भंग कर सकता है तो उसे बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है।
इन धाराओं का मकसद केवल एहतियातन रोकथाम है, लेकिन व्यवहार में पुलिस अक्सर इसका इस्तेमाल दबाव बनाने, विरोध की आवाज दबाने या छोटे विवादों को बढ़ाने के लिए करती है।
दुरुपयोग की शिकायतें
कई मामलों में लोगों को थाने में लाकर केवल “संदेह” के आधार पर कलंदरा बना दिया जाता है।
थाने के परिसर और कस्टडी में लोगों को घंटों बैठाकर दबाव डाला जाता है।
कई बार बिना ठोस सबूत या गवाह के केवल अनुमान के आधार पर कार्रवाई कर दी जाती है।
GPS कैमरे और डिजिटल सबूत की भूमिका
आज के समय में GPS कैमरों, मोबाइल रिकॉर्डिंग और CCTV का इस्तेमाल आम जनता कर सकती है।
अगर पुलिस थाने या कस्टडी में अवैध दबाव या गलत कार्रवाई हो रही है तो सबूत एकत्र करना बेहद जरूरी है।
ये डिजिटल सबूत अदालत और उच्च अधिकारियों के समक्ष पेश किए जा सकते हैं।
इससे पुलिस की जवाबदेही तय होगी और झूठे कलंदरा केसों पर रोक लग सकेगी।
विशेषज्ञों की राय
कानून विशेषज्ञों का कहना है कि —
कलंदरा कार्रवाई न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जा सकती है।
यदि पुलिस बिना कारण या मनमाने ढंग से गिरफ्तारी करती है तो यह नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है।
जनता को चाहिए कि वे अपने कानूनी अधिकारों को समझें और जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता लें।
जनता के लिए संदेश
1. हमेशा अपने अधिकारों को जानें और थाने में पूछताछ के दौरान शांत रहें।
2. यदि कार्रवाई गलत लगे तो मोबाइल से सबूत अवश्य सुरक्षित करें।
3. जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक और फिर अदालत तक शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
📢 निष्कर्ष
पुलिस की जिम्मेदारी सुरक्षा और शांति बनाए रखना है, लेकिन अगर 107 और 151 जैसी धाराओं का दुरुपयोग होता है तो यह न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न है। ऐसे में जनता को जागरूक, सतर्क और तकनीक (GPS कैमरा व रिकॉर्डिंग) का इस्तेमाल करके सबूत जुटाने की जरूरत है, ताकि किसी भी गलत कार्रवाई के खिलाफ मजबूती से आवाज उठाई जा सके।
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