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सड़क बंदी से चायल पंचायत संकट में: एक लाख से अधिक सेब की पेटियां सड़ने के कगार पर, लोगों को राशन का भी टोटा


उपमण्डल निरमण्ड की ग्राम पंचायत चायल के लोग इन दिनों दोहरी मार झेल रहे हैं। एक ओर जहाँ बागवानों की मेहनत की कमाई – सेब की पेटियाँ – खेतों और गोदामों में सड़ने की कगार पर हैं, वहीं दूसरी ओर स्थानीय ग्रामीण अब राशन और जरूरी खाद्य सामग्री के लिए तरस रहे हैं। भाजपा मण्डल निरमण्ड ने इस स्थिति को प्रशासन और सरकार की घोर लापरवाही करार दिया है।



जानकारी के अनुसार, 13 अगस्त की रात्रि से बागीपुल-जाओं-ठारला-सगोफा मार्ग पूरी तरह से बंद पड़ा है, और इस मार्ग के पुनः बहाल होने की कोई निश्चित समय-सीमा तय नहीं हुई है। एक महीने से अधिक समय से सड़क के बंद रहने के कारण करीब एक लाख से अधिक सेब की पेटियाँ खेतों में ही फँसी हुई हैं और अब सड़ने की स्थिति में पहुँच चुकी हैं।


इसी के साथ ग्रामीणों को खाद्य सामग्री – जैसे आटा, दाल, चावल और अन्य जरूरी वस्तुओं की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। गांवों में बिजली और पानी की आपूर्ति भी बाधित हो चुकी है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।


भाजपा मण्डल निरमण्ड ने इसे "सीधे-सीधे सरकार की नाकामी" बताया है और कहा है कि प्रशासन और लोक निर्माण विभाग (PWD) बार-बार अनुरोध करने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहा है। मण्डल अध्यक्ष ने प्रशासन से मांग की है कि यदि मुख्य मार्ग की मरम्मत में समय लग रहा है, तो किसी वैकल्पिक मार्ग या व्यवस्था से राहत सामग्री और फल बाहर पहुँचाने की व्यवस्था की जाए, ताकि न तो सेब बर्बाद हों और न ही लोग भूखे मरने की कगार पर पहुँचें।


भाजपा मण्डल ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह इस आपदा की घड़ी में प्रशासन के साथ मिलकर कार्य करने को तैयार है, ताकि पीड़ित जनता को हरसंभव सहायता मिल सके।


स्थानीय ग्रामीणों ने सरकार से गुहार लगाई है कि शीघ्र ही सड़क मरम्मत कार्य शुरू किया जाए और खाद्य सामग्री का वितरण सुनिश्चित किया जाए, ताकि क्षेत्र को इस संकट से उबारा जा सके।


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